हरियाणा में सड़क सुरक्षा को लेकर सक्रिय पुलिस विभाग, आईआईटी मद्रास के सहयोग से ऐतिहासिक पहल की तैयारी

सड़क सुरक्षा को लेकर पुलिस विभाग तथा आईआईटी मद्रास की होने जा रही है ऐतिहासिक पहल

गोल्डन ऑवर में दुर्घटनाग्रस्त घायल व्यक्ति का उपचार किया जाएगा सुनिश्चित, हर स्तर पर होगी मॉनिटरिंग – डीजीपी

अस्पतालों की भी परफॉर्मेंस के हिसाब से होगी रेटिंग, लापरवाही बरतने पर जिम्मेदारी की जाएगी तय –  पुलिस महानिदेशक

मोबाइल एप ‘संजया’ पर अपडेट किया जाएगा सारा डाटा, ब्लड बैंक, एंबुलेंस, अस्पताल सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी होगी उपलब्ध

चंडीगढ़,

22 अक्टूबर

हरियाणा पुलिस अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के सहयोग से सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल करने जा रही है।

इस योजना को लेकर पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर की अध्यक्षता में डायल 112 के कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में डीजीपी कपूर ने कहा कि जिन स्थानों पर सड़क दुर्घटनाएं अधिक होती है जिन्हें ब्लैक स्पॉट कहा जाता है, उनके कारणों का पता लगाते हुए संबंधित विभागों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

सड़क दुर्घटना के उपरांत सबसे ज्यादा जरूरी है कि दुर्घटनाग्रस्त घायल व्यक्ति को ‘गोल्डन ऑवर’ अर्थात जिस अवधि के दौरान उपचार मिलना जरूरी है, अस्पताल पहुंचाया जाए। इतना ही नहीं, अस्पतालों की भी परफॉर्मेंस के हिसाब से रेटिंग की जाएगी। जिस अस्पताल में घायल व्यक्ति का सर्वाइवल रेट जितना अधिक होगा अस्पताल को उतनी ही अच्छी रेटिंग दी जाएगी और जहां पर घायल व्यक्ति की मृत्यु का आंकड़ा अधिक होगा उसकी रेटिंग कम होगी।

इस सारी प्रक्रिया को मोबाइल ऐप ‘संजया’ से कनेक्ट किया जाएगा। इस मोबाइल ऐप पर जिला की बड़ी सड़को, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग तथा अन्य जिला की सड़कों के मैप को जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश भर के अस्पतालों तथा एंबुलेंस का डाटा भी इस मोबाइल ऐप में उपलब्ध होगा।

बैठक में सड़क दुर्घटना के कारणों सहित घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा कर उसका इलाज करवाने तक की प्रक्रिया को लेकर बारीकी से अध्ययन किया गया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में ज्यादातर लोगों की मृत्यु सिर में चोट लगने से होती है। इसलिए जरूरी है कि आसपास के क्षेत्र में ट्रामा सेंटरों  को सूचीबद्ध करके आपस में समन्वय स्थापित करते हुए काम करे।

डीजीपी ने कहा कि सड़क दुर्घटना को लेकर इस तंत्र से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की जवाबदेही तय की जाएगी। किसको कैसे काम करना है और क्या काम करना है, इस बारे में स्पष्टता से काम किया जाएगा। इसके अलावा, प्रदेश भर के अस्पतालों , एम्बुलेंसो तथा उनके चालकों तथा ब्लड बैंको को भी इसे जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि घायल व्यक्ति की सूचना मिलने के उपरांत उसे अस्पताल ले जाने तथा उसका ट्रीटमेंट शुरू होने तक की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी।

बैठक में सितंबर माह के दौरान हुई सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को लेकर भी विस्तार से चर्चा की गई। महानिदेशक ने आईजी ट्रैफिक हरदीप दून से कहा कि वे प्रदेशभर की सड़कों पर अलग-अलग स्थान पर आवश्यकता अनुसार स्पीड लिमिट सेट करवाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएं। बैठक में यह भी बताया गया कि पिछले कुछ वर्षों में वाहनों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा पिछले वर्ष की अपेक्षा कम है। पिछले वर्ष की तुलना में सड़क दुर्घटना में इस वर्ष सड़क दुर्घटना कम हुई है तथा लोग कम घायल हुए हैं।

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