हरियाणा में तेजी से लोकप्रिय हो रही है “झोटा दौड़”

हरियाणा बुलेटिन ब्यूरो,
चंडीगढ़,
5 दिसंबर, 2018

‘देशां में देश हरियाणा जित दूध-दही का खाणा,
 सीधे-साधे लोग यहाँ के सीधा-साधा बाणा’

हालांकि वर्तमान हरियाणा के लोगों के शौंक भी यूँ तो जमाने के साथ बदल रहे हैं और कभी परम्परागत कुश्ती-कबड्डी के लिए जाने जाना वाला प्रदेश अब विश्व मानचित्र पर बॉक्सिंग और शूटिंग जैसे आधुनिक खेलों के लिए भी अपना नाम अंकित कर रहा है, सांग-रागनियों से राज्य का संगीत अब मॉडर्न रैप म्यूजिक और बॉलीवुड का रुख कर चुका है, खेती-बाड़ी से हरियाणवी अब व्यवसाय की तरफ अग्रसर है तो नवीनतम गैजेट्स, ब्रांडेड वेश-भूषा और बड़ी-बड़ी गाड़ियां अब प्रदेश के मोल्हड़ देहाती की पहुँच के अंदर की चीज़ें हैंl

पर इस प्रदेश की खासियत रही है के यहाँ के लोगों को आधुनिकता में भी परम्परागत शैलियों को संजो कर रखना आता है, फिर चाहे खेल हो, संगीत या मनोरंजन के साधनl

खेल पुराने ज़माने से ही मनोरंजन के साधन भी रहे हैं और ऐसी ही एक परम्परागत प्रतियोगियाता जो वर्तमान में हरियाणा के नौजवानों के बीच फिर से लोकप्रिय हो रही है वो है “झोटा दौड़” (male buffalo race).

यूं तो ‘झोटा दौड़’ हरियाणा के देहात के लिए कोई नवीनतम विषय नहीं बल्कि वर्षों पहले तक यह काफी चर्चित थाl बुग्गी (cart) में बैठकर खेतों से आते-जाते किसान अक्सर अपने-अपने झोटों की ज़ोर-आजमाइश करते रहते थे और एक-दूसरे के झोटों के बीच दौड़ लगाते थे पर वो संयोगवश होता थाl

परन्तु वर्तमान में प्रचलित ‘झोटा दौड़’ कोई इत्तेफाकन नहीं अपितु पूर्णतया शौंकिया और पेशेवर हैl  शौक़ीन नौजवानों ने अच्छी किस्म के दौड़ में निपुण झोटे रखे हैं, दौड़ में इस्तमाल होने वाली बुग्गी (जिसे पीढा कहते हैं) खरतौर पर तैयार करवाई जाती है जोकि ज्यादातर बुग्गियों के पुराने निर्यातक शहर शामली (उत्तर प्रदेश) से मंगवाई जाती हैl

प्रतियोगिता के लिए स्थान निर्धारित कर एंट्री फीस तय की जाती है और इच्छुक प्रत्याशियों (झोटा मालिकों) को सूचित किया हैl जीतने वाले झोटा मालिकों को न सिर्फ घोषित इनाम बल्कि ट्रॉफी देकर सम्मानित किया जाता हैl पश्चिम उत्तर प्रदेश से भी लोग़ प्रतियोगिता में अपने झोटे लेकर पहुँचते हैंl ज्यादातर 1.5 किलोमीटर से लेकर 3.5 किलोमीटर तक के स्प्रिंट में रिटर्न रेस आयोजित की जाती हैl

हाल ही में हुई प्रतियोगिताों में दौड़ जितने वाले झोटों की औसतन स्पीड 10-12 मीटर/ सैकेण्ड दर्ज़ की गयी है जोकि 36-43 किलोमीटर/घंटा बनती हैl एक ठीक-ठाक मोटरसाइकिल की रफ़्तार जितनीl

झोटा दौड़ प्रतियोगिताओं के शौक़ीन और यूट्यूब पर झोटा रेस वीडियोस के लिए मशहूर कोहण्ड गाँव के दिप्पा रावल का कहना है कि झोटों को रोज़ाना दौड़ के लिए अभ्यास कराया जाता है और उसी हिसाब से खुराक का भी ध्यान रखा जाता हैl

अच्छे झोटों का शौक रखने वाले दीप मानते हैँ कि ये खेल बहुत तेजी से किसान परिवारों के नौजवानों में लोकप्रिय हो रहा है और हर बार प्रतियोगिता में भाग लेने वालों और देखने वालों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा हैl  हरियाणा के अलावा, पडोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब के कईं इलाकों में ‘झोटा दौड़’ काफी हद तक लोकप्रिय हो चुकी हैl

उत्तर प्रदेश के जिला शामली से आने वाले विक्रम चौहान तो ये तक मानते हैं के आधुनिकता के दौर में झोटा प्रजाति विलुप्त होती जा रही है, लोगों ने बैलगाड़ियों और बुग्गियों का त्याग कर मोटरसाइकिल से घास और चारा ढोना शुरू कर दिया है, ऐसे में झोटा दौड़ प्रतियोगिताओं के आने से देहात में न केवल मनोरंजन का माध्यम मिला है बल्कि कृषक परिवारों में झोटा पालन की तरफ भी रुझान बढ़ा हैl

बहरहाल कुछ लोग इसे तमिलनाडु के जलीकट्टू की तरह पशुओं पर क्रूरता का दर्जा भी देते हैं मगर झोटा पालन का शौंक रखने वाले नौजवानों के लिए ये खेल और मनोरंजन से बढ़कर ये अब प्रतियोगिता में हार-जीत और यहाँ तक की नाक का सवाल तक बन चुका हैl

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