चंडीगढ़,
31 जनवरी, 2019
आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बहुचर्चित व अहम जींद विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आज घोषित हो जाएंगे।
बांगर क्षेत्र में ‘जाटलैंड’ कहे जाने वाले जींद में आज घोषित होने वाले नतीजे महज एक उपचुनाव का परिणाम न होकर 2019 में केंद्र व राज्य स्तर पर होने वाले सत्ता के संग्राम का शंखनाद है, सेमीफइनल है जिसमें कईं राजनीतिक दिग्गजों की साख दांव पर लगी है।
सही मायनों में कहिये तो जींद उपचुनाव हरियाणा की राजनीति में विश्वसनीयता के लिए हो रहा संग्राम (Battle for Credibility) है।
लगभग कुल 1.70 लाख वोटों वाली जींद विधानसभा में एक लाख के गैर-जाट बाहुल्य शहरी मतदाताओं को दिमाग में रखकर पंजाबी समुदाय के डॉ कृष्ण मिड्ढा को मैदान में उतारने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उपचुनाव में सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही है और अगर जींद में जीत हासिल होती है तो पिछले 52 वर्षों में जींद विधानसभा में पहली बार भगवा परचम लहराने का सेहरा बंधेगा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सिर जो प्रदेश में पार्टी का असरदार व गैर-विवादस्पद चेहरा बनकर उभरे हैं। किन्तु अगर ऐसा नहीं होता तो हाल ही में निकाय चुनावों की जीत का मजा तो किरकिरा होगा ही, साथ ही आगामी चुनावों के मद्देनजर चुनौतियां भी बढ़ जाएंगी।
वहीँ कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता व वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला श्रेष्ठता साबित करने के लिए जींद से उतारा है। हरियाणा कांग्रेस में सशक्त छवि वाले सुरजेवाला व उनकी टीम ने जींद उपचुनाव के कड़ी मेहनत की है किन्तु नामांकन के समय एकजुट नज़र आई प्रदेश कांग्रेस का चुनाव प्रचार में कुछ खास जलवा बिखेरती नहीं दिखी और राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार ये उपचुनाव रणदीप सुरजेवाला ने केवल अपने बलबूते पर लड़ा है। यह माना जा रहा है कि नतीज़े कुछ भी हों पर विजय पायदान पर सुरजेवाला का दमखम दिखेगा और अगर विजय हाथ भी नहीं लगती तो भी रणदीप के लिए जींद उपचुनाव तकरीबन जीत की स्थिति (win-win position) जैसा रहेगा और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नज़रों में उनका कद और बढ़ेगा क्यूंकि सबको ज्ञात है कि उपयुक्त उम्मीदवारों के आभाव में उनको जींद से उपचुनाव लड़वाया गया है।
अब बारी आती है इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) व चौटाला परिवार से अलग रुख इख्तियार करने वाले हिसार सांसद दुष्यंत चौटाला का जिनकी नवगठित जननायक जनता पार्टी (जजपा) की तरफ से भाई दिग्विजय की लॉन्चिंग भी जींद से हुई है। जींद उनके परदादा पूर्व-प्रधानमंत्री व जननेता देवीलाल की भी कर्मभूमि रही है, इसलिए जींद उपचुनाव, दुष्यंत और दिग्विजय के लिए भी जजपा गठन के उपरांत पहला और बहुत महत्वपूर्ण राजनीतिक मुकाबला है जिसमें अगर जीत हासिल होती है तो वो अपने-आप को साबित करने में कामयाब होंगे, पर अगर ऐसा नहीं होता तो एक सम्मानजनक हार भी इनके लिए उपलब्धि से कम नहीं होगी।
जजपा के गठन से कमज़ोर पड़ी प्रदेश की मुख्य राजनीतिक पार्टी इनेलो ने स्थानीय उम्मीदवार उम्मीद सिंह रेढू पर दांव खेला है। यूँ तो बसपा गठबंधन के साथ पार्टी जीत के दावे कर रही है परन्तु राजनीतिक विशेषज्ञों व आंकलनों की मानें तो विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष की कुर्सी पर विराजमान अभय सिंह चौटाला की इनेलो को शायद शीर्ष तीन में जगह नहीं मिल रही और अगर ऐसा होता है तो इनेलो समर्थकों व पार्टी शीर्ष नेतृत्व के लिए यह चिंता का विषय होगा।
बीजेपी से अपने मतभेदों के चलते किनारा कर अलग दल लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बनाने वाले कुरुक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी के लिए भी पहले पांच में आना अति अनिवार्य है, अन्यथा उनके राजनीतिक अस्तित्व पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग जाएगा।
बहरहाल कड़ी सुरक्षा के बीच उपचुनाव की वोटों की गिनति जींद के अर्जुन स्टेडियम में सुबह शुरू हो चुकी है जिसका परिणाम शाम तक घोषित हो जाएगा।
शुरुआती आंकड़ों में भाजपा, जजपा, कांग्रेस आगे चल रही हैं।