चंडीगढ़,
13 नवंबर, 2018
गत दो वर्षों (2016-17 और 2017-18) में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कम्पनियों ने देश में 15000 करोड़ से अधिक रूपये कमाएl
ये खुलासा आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत माँगी गयी जानकारी में हुआ हैl
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर द्वारा आरटीआई के तहत केन्द्रीय कृषि मंत्रालय से प्राप्त सूचनाओं में खुलासा हुआ है कि बहुचर्चित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत को दो वर्षों में सरकारी क्षेत्र की एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया (एआईसी) के इलावा कुल 10 निजी बीमा कम्पनियों ने इस योजना से इसी दौरान कुल 15,795 करोड़ रूपये कमाए।
बीमा कम्पनियों को वर्ष 2016-17 में वार्षिक मुनाफा कुल 6459.64 करोड़ रूपये हुआ तो वर्ष 2017-18 में बीमा कम्पनियों के इस मुनाफे में 150 प्रतिशत की वृद्धि होकर यह राशि कुल 9335.62 करोड़ रूपये हो गई।
आरटीआई सूचना के अनुसार, दो वर्षों में किसानों से कुल प्रीमियम राशि 49,408 करोड़ रूपये लेकर इसमें से कुल 33,612.72 करोड़ रूपये मुआवजा राशि कुल 4.27 करोड़ किसानों को बांटकर शेष बचे 15,795.26 करोड़ रूपये मुनाफेे के नाम पर कुल दस बीमा कम्पनियों के हिस्से आए।
इसमें से अकेले हरियाणा में 166 करोड़ रूपये से ज्यादा का मुनाफा बीमा कंपनियों को इस दौरान हुआ। वर्ष 2016-17 में हरियाणा में किसानों से कुल 364.39 करोड़ रूपये प्रीमियम राशि वसूल कर उन्हें कुल 292.55 करोड़ रूपये की मुआवजा राशि दी गई। बीमा कम्पनियों को वर्ष 2016-17 में कुल 71.83 करोड़ का लाभ हुआ। वहीँ वर्ष 2017-18 में बीमा कम्पनियों ने कुल 453 करोड़ रूपये का प्रीमियम वसूला जबकि किसानों को मुआवजेे में 358 करोड़ रूपये देकर कुल 95 करोड़ रूपये कमाए।
प्रदेश में इन दो वर्षों के दौरान बीमाकृत किसानों की संख्या में 15,228 की वृद्धि हुई। जहां वर्ष 2016-17 में बीमाकृत किसानों की कुल संख्या 13,36,028 थी वहीं वर्ष 2017-18 में यह बढक़र 13,51,256 हो गई।
जानकारी के मुताबिक, दो वर्षों में पूरे भारत में कुल मिलाकर 85 लाख किसानों ने इस फसल बीमा योजना को नकार दिया। वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से कुल 5,72,17,159 किसान जुड़े थे तो एक वर्ष बाद (वर्ष 2017-18) में 84.47 लाख किसानों ने इस योजना को छोड़ दिया। किसानों की संख्या (वर्ष 2017-18) में घट कर कुल 4,87,70,515 रह गई।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर का आरोप है कि कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एक बहुत बड़ा घोटाला है। किसानों के नाम पर निजी बीमा कम्पनियों की तिजौरियां भरी जा रही हैं। योजना पूरी तरह से फ्लॉप हो चुकी है। यह राशि निजी बीमा कम्पनियों को लुटवाने की बजाए सीधे किसानों को दी जाती तो किसानों की स्थिति में सुधार होता।
कपूर की दलील है कि वर्ष 2016-17 में 5.72 करोड़ कुल किसान बीमाकृत किए गए तो वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 85 लाख घटकर 4.87 करोड़ रह गई। जबकि वर्ष 2016-17 में कुल 17,902.47 करोड़ रूपये मुआवजा राशि देने के बावजूद भी बीमा कम्पनियों नेे कुल 6459.64 करोड़ रूपये का मुनाफा हुआ। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में किसानों को कुल 15,710.25 करोड़ रूपये मुआवजा राशि अदा करने के बावजूद बीमा कम्पनियों को कुल 9335.62 करोड़ रूपये कम्पनियों की तिजौरी में मुनाफे के नाम पर पहुंच गए। यानि किसान घटते गए तो कम्पनियों के मुनाफे बढ़ते गए। जबकि पंजाब राज्य में यह योजना लागू नहीं है वरना बीमा कम्पनियों को होने वाला मुनाफा और भी बढ़ जाता।
कपूर ने कहा, “आरटीआई के तहत प्राप्त सूचनाओं से खुलासा हुआ है कि बहुचर्चित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को दो वर्षों में भाजपा शासित चार राज्यों के एक करोड़ से ज्यादा किसानों ने छोड़ दिया।चार बड़े राज्यों मध्य प्रदेश (2.90 लाख), राजस्थान (31.25 लाख), महाराष्ट (19.47 लाख) व यूपी (14.69) में कुल 68. 31 लाख किसानों का योजना से मोहभंग हो गया।”
उनका कहना है कि वर्ष 2016-17 में बीमा कम्पनियों के कुल मुनाफे में सर्वाधिक 2610.60 करोड़ रूपये का मुनाफाा कमाने वाली सरकारी क्षेत्र की कम्पनी एआईसी है जबकि दो वर्षों के दौरान न्यू इंडिया कम्पनी को सर्वाधिक 2226 करोड़ रूपये मुनाफा हुआ। एचडीएफसी को 1817.74 करोड़ व रिलायंस कम्पनी को कुल 1461.20 करोड़ रूपये का मुनाफा हुआ।